अध्यात्म जीवन से दूर ले जाता है क्या ?


अध्यात्म का आखरी लक्ष्य क्या है – मोक्ष प्राप्त करना, आत्मा का अपने शुद्ध रूप में वापस आ जाना | यह संभव हो पाता है जब मनुष्य पांचों इंद्रियों पर कंट्रोल स्थापित कर ले | पांचों इंद्रियों पर कंट्रोल स्थापित करने के लिए हमें अपनी मैं (यानि अहंकार) को निरस्त करना होता है | इसके लिए मोह पर control स्थापित करना बेहद आवश्यक है |

 

अगर हम मोह खत्म करेंगे तो अपने परिवार, सगे संबंधियों से भी दूर होते जाएंगे | दोस्तों को पहचानने से इंकार कर देंगे – इसलिए नहीं कि हम उन्हें जानते नहीं, बल्कि इसलिए कि वे आध्यात्मिक progress में बाधा सिद्ध होंगे | अध्यात्म में कदम रखते ही हम अंतर्मुखी होने की कोशिश करेंगे | ब्राह्म जगत के सारे रिश्ते नाते खत्म होते जाएंगे |

 

आध्यात्मिक सफर हमें ब्रह्म के नजदीक लाता है लेकिन अपनों से दूर भी कर देता है | हम स्वयं में बेहद खुश होते/ रहते हैं लेकिन उनका क्या – जो हम पर dependent हैं ? इसी कारण सिद्धार्थ गौतम के पिता राजा शुद्धोदन, सिद्धार्थ को आध्यात्मिक गतिविधियों से दूर रखते थे | उन्हें डर रहता था कहीं सिद्धार्थ सत्य की खोज में न निकल जाए |

 

आध्यात्मिक सफर में जिस किसी को ज्ञान प्राप्त होता है उसका परिवार तो तड़पता ही है | यह शायद ब्रह्म का रचाया शाश्वत नियम है | कृष्ण से लेकर महावीर, बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण – किसी के भी परिवार में झांक कर देख लीजिए, अनंत दुख ही दुख मिलेगा | जिसने ज्ञान प्राप्त किया उसे तो चिर शांति लेकिन पूरे परिवार में चिर अशांति |

 

आध्यात्मिक सफर में कदम रखने से पहले इन्हीं सभी बातों को अच्छी तरह सोच समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए |

 

What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani

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