अध्यात्म भी कभी तनावपूर्ण हो सकता है क्या ?


अध्यात्म का सफर तनावपूर्ण कम परेशानी भरा ज्यादा कह सकते हैं | अगर साधक तनाव में रहेगा तो आध्यात्मिक उन्नति न के बराबर होगी | तनाव की स्थिति में ध्यान/ चिंतन हो ही नही सकता |

 

हां अगर आप गृहस्थ हैं तो पूरा जीवन परेशानियों से जूझने में गुजरेगा | कभी पैसे की चिंता, कभी पत्नी के साथ चिक चिक (शारीरिक सुख से जो वंचित है पत्नी), कभी बॉस से किटकिट, कभी बच्चों का रोना धोना | आप क्योंकि अंदरूनी सफर में मस्त हो जाते हैं तो ब्राह्म कार्य suffer करते हैं |

 

आध्यात्मिक ज्ञान, शास्त्र इत्यादि तनाव का कारण कभी नहीं हो सकते लेकिन शास्त्रों में उलझा साधक तो परेशानियों से घिर सकता है | इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए महर्षि रमण ने शादी नहीं की | शादी तो स्वामी विवेकानंद ने भी नहीं की लेकिन 39 की उम्र में ही चले गए |

 

रामकृष्ण परमहंस की जिंदगी को ले लीजिए – पहले भक्ति मार्ग की उलझन, भक्ति मार्ग छोड़ ज्ञान मार्ग पकड़ा, फिर शारदा देवी (पत्नी) की तरफ से चिंता, पब्लिक तो पत्थर मारने की शौकीन – क्या क्या परेशानियां नहीं झेली रामकृष्ण परमहंस ने |

 

हर आध्यात्मिक साधक समय से आगे चलता है | उसके ज्ञान की गहराइयों तक पहुंचने का सामर्थ किसी में नहीं | जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महावीर को 42 की आयु में जब कैवल्य ज्ञान हो गया तो उनकी बातें समझने वाला कोई इंसान नहीं था | लगभग 1 1/2 वर्ष बाद महावीर की वाणी खिली जब गौतम गणधर ने उनकी वाणी ग्रहण की |

 

अध्यात्म के मार्ग पर परेशानियों का तांता कभी खत्म नहीं होता | और तो और ब्रह्म की अग्निपरीक्षाएं भी चालू रहती हैं | सभी बातों के बावजूद सच्चा साधक कभी घबराता नहीं और आगे बढ़ता ही जाता है, यह सोचकर कि सभी कुछ इसी जीवन में प्राप्त करना है |

 

मीराबाई को अंततः जहर का प्याला पीना ही पड़ा |

 

Mirabai | मीराबाई के समय स्त्रियों को मंदिर में जाने की इजाज़त नहीं थी | Vijay Kumar Atma Jnani

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