मनुष्य के जीवन का आखिरी goal क्या है – ब्रह्मलीन होना | ब्रह्मलीन होने से हमारा मतलब क्या है ? क्या मनुष्य ब्रह्म से मिल जाएगा ?
ब्रह्मलीन यानि मनुष्य की कोशिश के कारण साधक 84 लाखवी योनि में पहुंच गया | अब आत्मा अपने शुद्ध रूप में वापस आ गई | शुद्ध आत्मा का आगे मनुष्य रूप धारण करने में अब कोई प्रयोजन नहीं रह जाता – क्योंकि अंदर की अशुद्धियां पूर्णतया नष्ट हो चुकी हैं | अब आत्मा free है वापस घर जाने के लिए, ब्रह्मलीन होने के लिए |
मनुष्य शरीर को आत्मा धारण करती है | और मनुष्य जब तक आध्यात्मिक सफर में नहीं उतरेगा, ब्रह्म तक नहीं पहुंचेगा | आध्यात्मिकता जीवन का वह पहलू है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता | हां ! आध्यात्मिकता के बिना जिंदगी का सफर अर्थहीन, बेतुका बिल्कुल नहीं | यह हम पर निर्भर है अध्यात्म में 11 लाख योनियों में कब उतरें |
JRD Tata आध्यात्मिक नहीं थे लेकिन उनसे बड़ा कर्मयोगी उनके समय धरती पर नहीं था | जिंदगी खुलकर जीते थे | आम इंसान कोई भी रास्ता चुन सकता है – आध्यात्मिक या भौतिक | बस ध्यान इतना रखना होगा – भौतिक जीवन में सिर्फ भोगविलास में न खो जाएं |
Right Age to start a Spiritual Journey | आध्यात्मिक ज्ञान लेने की सही उम्र | Vijay Kumar Atma Jnani