मनुष्य जीवन में आध्यात्मिकता क्यों ज़रुरी है ?


ब्रह्म ने मनुष्यों को 11 लाख योनियों का सफर दिया है कि वे अध्यात्म के सफर में उतर एक शुद्ध आत्मा बन सकें | लेकिन एक बात ध्यान रहे – हम एक ही जीवन से बंधे हैं | मृत्यु के बाद हमारी आत्मा क्या शरीर लेगी, कहां लेगी, हमें नहीं मालूम |

 

अगर हम अध्यात्म की राह पर 12 साल की ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या में उतर जाएं, यह संभव है हम इसी जन्म में आखिरी 84 लाखवी योनि में स्थापित हो जाएं और मोक्ष लें लें | ब्रह्म ने हमें will power और विवेक दिया है और यह decision हम पर छोड़ा है कि हम किस योनि में अध्यात्म के सफर में जाना चाहते हैं |

 

अध्यात्म में एक बात ध्यान रखने योग्य है कि इस जन्म में हम जो भी आध्यात्मिक उन्नति करेंगे वह waste नहीं जाएगी | अगले जन्म में हम उसी level से शुरू करेंगे जो लेवल इस जन्म में मृत्यु के समय था | जबकि भौतिक जगत की उन्नति सब waste हो जाती है और हर जन्म हम फिर nursery class से शुरू करते हैं |

 

Right Age to start a Spiritual Journey | आध्यात्मिक ज्ञान लेने की सही उम्र | Vijay Kumar Atma Jnani

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