मनुष्य शरीर आत्मा ने धारण किया है | खुद दृष्टा की भांति काम करती है और सारे काम करवाती है मनुष्य रूप से | कैसे ? सिर्फ मैं (अहंकार) के कारण | अगर अहंकार न हो तो हर मनुष्य बिल्कुल भी कर्म नहीं करेगा, अकर्मण्य होकर मुश्किल से 25 की आयु में ही चल बसेगा | जीवन पूरी तरह नीरस हो जाएगा | मनुष्य कहेगा मैं आत्मा के लिए काम, करूं क्यों ?
अहंकार मनुष्य को यह अहसास देता है कि सब मेरा है, जबकि है नहीं – मृत्यु के बाद मनुष्य का कुछ नहीं रहता | अहंकार के कारण यह भाव बना रहता है – मेरा घर, मेरी गाड़ी, मेरा business, मेरी पत्नी, मेरे बच्चे इत्यादि जबकि खुद का तो शरीर भी नहीं – मृत्यु के साथ मनुष्य ही नष्ट |
अगर अहंकार न हो जो कि निचली योनियों में भी होता है जैसे पशु पक्षी इत्यादि तो संसार एक दिन भी न चले | अहंकार के भी दो स्वरूप होते हैं | अहंकार तो JRD Tata में भी होगा लेकिन वह उसे अपने बिजनेस की बढ़ोतरी और मानव सेवा में लगाते थे | लेकिन अहंकारी मनुष्य हमेशा अपना हित और दूसरों का अहित करने की सोचता रहता है |
इसी अहंकार को मनुष्य जिस दिन नष्ट कर देता है तो तत्वज्ञानी बन मोक्ष ले लेता है |
What Karma really means? कर्म का वास्तव में क्या अर्थ है? Vijay Kumar Atma Jnani