अंतःकरण की आवाज़ हृदय से आती हमारी आत्मा की आवाज़ है | अगर कोई इंसान इस आवाज़ को साफ सुन सके और उस पर अमल कर सके – तो कोई वजह नहीं कि इसी जन्म में वह तत्वज्ञानी हो जाए | यह अंतःकरण की आवाज़ ही तो है जो हमें आध्यात्मिक पथ पर हर संभव guidance देने की कोशिश करती है |
कोई भी साधक अन्तःकरण से आती इस आवाज को तभी सुन सकता है जब वो सत्य को दृढ़ता से पकड़े | अगर हमारी वाणी, व्यवहार में सत्यता नहीं – तो अंतरात्मा की आवाज़ हमें कभी सुनाई नहीं देगी | अध्यात्म की राह पर सत्य की असीम महिमा है | सत्य बिना कुछ भी हासिल नहीं होगा | अगर हृदय से आती ब्रह्म की आवाज़ को हम अनसुना कर देंगे तो प्रगति करेंगे कैसे ?
यहां पर मैं इस बात को बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हृदय स्थल से आती आवाज़ और किसी कि नहीं अपितु भगवान कृष्ण की वाणी है | आत्मा खुद की शुद्धि स्वयं नहीं कर सकती तो मनुष्य शरीर धारण करती है | लेकिन फिर हृदय में सारथी के रूप में स्थित रहती है और जीवन भर guide करती है |
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण क्या करते हैं ? सारथी के रूप में अर्जुन को गाइड करते हैं ? भगवद गीता का पार्थ अर्जुन है कौन ? सही विचारेंगे तो पाएंगे कि अर्जुन और कोई नहीं – धरती पर स्थित हर मनुष्य (पुरुष या नारी) अर्जुन है | बाकि आप नीचे दिए video में समझ जाएंगे |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar