अर्जुन से पहले गीता ज्ञान किसे मिला था ?


यह बात सोलह आने सच है कि अर्जुन से पहले गीता ज्ञान सूर्य को मिला था | मैं सोचा करता था यह कैसे संभव है – सूर्य एक तपता हुआ छोटा तारा है, मनुष्य रूप तो है नहीं जो ज्ञान दिया जाए | आत्मसाक्षात्कार के बाद जब गीताप्रेस, ऋषिकेश में उपनिषदों के पन्ने पलट कर देखे, जो सात वर्ष की उम्र से ज्ञात था वह confirm हो गया |

 

ब्रह्माण्ड उत्पन्न होने के बाद आत्माएं ब्रह्माण्ड में फ़ैल गईं | कुछ आत्माओं का झुंड सूर्य के गर्भ में स्थापित हो गया | और सूर्य के गर्भ से आत्माएं धरती पर remote control से शरीर को चलाती हैं | जब कोई मनुष्य बोलता है, यह आवाज़ किसकी है ? शरीर की तो नहीं | क्या आत्मा की, नहीं आत्मा की भी नहीं हो सकती, क्यों ?

 

जब all india radio पर Lata Mangeshkar गाती है तो आवाज़ हरिद्वार में स्थित transistor में से आती है | क्या transistor गा रहा है, नहीं | गा तो लता मंगेशकर रही है दिल्ली में | १९८५ के दौरान आवाज़ साफ नहीं आती थी | उसके बाद Mussoorie में repeater station लगाया गया और आवाज़ बिल्कुल साफ हो गई |

 

यह बात क्या दर्शाती है – ब्रह्म की आवाज़ पहले सूर्य के गर्भ यानि आत्माओं के पास जाती है और फिर हमारे मुख से निकलती है | ज्ञान पहले सूर्य को गया और फिर हमारे हृदय स्थल से निकला | triangle पूरा हो गया – ब्रह्म, आत्मा और मनुष्य | लता की आवाज़ दिल्ली से Mussoorie, फिर हरिद्वार पहुंची |

 

सभी बातों का निचोड़ – ब्रह्म की आवाज़ सारथी के रूप में हमारे हृदय स्थल से निकलती है और हम अनजान रहते हैं |

 

अर्जुन के रथ और सारथी कृष्ण का रहस्य | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993 | Atma Jnani

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