ईश्वर नहीं ब्रह्म – वह तो हमेशा से दृष्टा की भांति रहता है , और सिर्फ ब्रह्म ही नहीं, सारी आत्माएं भी दृष्टा की भांति रहती हैं | कर्म तो शरीर करता है जो आत्मा ने धारण किया है |
जब धरती पर अधर्म सीमा लांघ जाए, मनुष्य का खुद पर कंट्रोल न रहे तो हम सभी मनुष्यों में से एक को ब्रह्म इतनी दिव्य शक्ति प्रदान करते हैं कि वह अवतार बन धर्म की पुनर्स्थापना करता है, नए युग का संचालन करता है |
अवतार कहीं बाहर से नहीं आता, न अवतरित होता – लेकिन ईश्वरीय शक्ति से लैस इंसान को लोग साक्षात भगवान ही मनुष्य रूप में मान लेते हैं | आने वाले समय में लोग निष्कलंक कल्कि अवतार के दर्शन करेंगे |
भगवान का अवतार कब होता है? Vijay Kumar Atma Jnani