आत्मज्ञान यानी आत्मा का ज्ञान हो जाना | यह कब संभव है ? जब साधक आध्यात्मिक सफर में कर्मों की निर्जरा करके एक शुद्ध आत्मा बन जाता है वह आत्मज्ञानी कहलाता है | मुक्ति के द्वार तक पहुंच जाना, जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो जाना तत्वज्ञानी कहलाता है | रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण दोनों आत्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी हो गए थे |
ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद कितनी आयु शेष? Vijay Kumar Atma Jnani