ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त कर लेना मतलब परमात्मा ब्रह्म को पा लेना हमेशा हमेशा के लिए | यह संभव हो पाता है जब एक साधक चिंतन के माध्यम से ध्यान में उतरकर और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अध्यात्म के शीर्ष पर पहुंच जाता है यानी ८४ लाखवी योनि, तब हम एक तत्वज्ञानी बन जन्म और मृत्यु के बंधन से हमेशा के लिए मुक्त हो जाते हैं |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani