आत्माएं जब से ब्रह्म के घर से निकली हैं – उनका एक ही उद्देश्य है – ब्रह्मलीन होना, वापस ब्रह्म से मिल जाना | सूर्य मंडल में धरती बनी, आत्माओं ने 84 लाख योनियों का सफर शुरू किया | 73 लाख योनियां पार कर पहली बार मनुष्य योनि में आयी |
मनुष्य रूप में आत्मा चाहती है कि मनुष्य अध्यात्म की राह पकड़, 12 वर्ष के ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या में उलझ खुद को 84 लाखवी योनि में स्थापित कर आत्मज्ञानी, तत्वज्ञानी बन जाए | तभी आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो ब्रह्मलीन हो पाएगी |
यहां ब्रह्म ने मनुष्यों के लिए काफी बड़ी ढील दी है – 11 लाख मनुष्य योनियां | यह सिर्फ मनुष्य पर निर्भर है वो वर्तमान जीवन में ब्रह्म तक पहुंचना चाहता है या आध्यात्मिक सफर को अगले जीवन के लिए postpone कर देता है |
Right Age to start a Spiritual Journey | आध्यात्मिक ज्ञान लेने की सही उम्र | Vijay Kumar Atma Jnani