जीवन का सच इंसान को सिर्फ और सिर्फ ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद मालूम चल सकता है – पहले नहीं | ब्रह्म साक्षात्कार के बाद ही ज्ञात होता है कि हम एक आत्मा हैं और 84 लाख योनियां पार कर आखिरी योनि में पहुंच चुके हैं | आगे प्राप्त होने योग्य कुछ नहीं बचा ! मुक्त हुई आत्मा अंततः हमेशा के लिए free हो जाएगी यानि मनुष्य को मोक्ष मिल जाएगा |
जीवन का सच जानने के लिए हर मनुष्य को अध्यात्म में उतरना चाहिए | आध्यात्मिक सफर यानि ब्रह्मचर्य और ध्यान की practice |
जीवन का सच जानने के लिए ब्रह्म ने मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का सफर सुनिश्चित किया है | अब यह हमारे ऊपर है हम धीमे धीमे इस सफर में बढ़ते रहें (जीवन दर जीवन) या अपने वर्तमान जीवन में पहले स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस बन जीवन सफर पूरा कर लें – यानि जन्म मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त |
हम अर्जुन बन इसी जीवन में एक आत्मज्ञानी, केवल्यज्ञानी बन सकते हैं – अगर कोशिश करें तो |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar