आत्मा अमर है तो लोग मरने से क्यों डरते हैं ?


जब तक जीव को आत्मज्ञान नहीं हो जाता, वह दोनों जन्म और मृत्यु को कौतूहल से देखता है | मौत का डर जीव को हर पल इसलिए सताता है कि मेहनत कर जो इकट्ठा किया वह सब छूट जाएगा | सिर्फ धन संपदा ही नहीं, अपनों का साथ भी |

 

आत्मा अजर अमर है, शरीर नहीं | शरीर तो 5 इन्द्रियों से बंधा है, दुख और दुख दोनों सहेगा | हर मनुष्य जिसकी अध्यात्म में रुचि नहीं, मौत से हमेशा डर कर जीवन गुजारेगा | आध्यात्मिक साधक भी मौत से डरता है पर उतना नहीं |

 

यह अध्यात्म ही है जो साधक को इस बात के लिए तैयार करता है कि मौत जीवन का एक पड़ाव है उससे ज्यादा कुछ नहीं | आध्यात्मिक साधक धीरे धीरे मौत के डर पर कंट्रोल पा ही जाता है | मौत से डर का मुख्य कारण है जब हम किसी नजदीकी की मौत देखते हैं और फिर उसका बिलखता परिवार | ऐसा लगता है सब कुछ तितर बितर हो गया | घर में एक मौत क्या हुई, सब कुछ कंट्रोल में नहीं रहा |

 

निःसंदेह जब एक बुजुर्ग कि मौत होती है तो इतना कष्ट नहीं होता | सब कहते हैं अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर के गया | मौत एक relative concept है | जब बच्चे की मृत्यु होती है तो दुख ज्यादा होता है | इसलिए हर आध्यात्मिक साधक को मृत्यु के लिए हर क्षण तैयार रहना चाहिए | हर काम इस तरह करना चाहिए जैसे जीवन का आखिरी दिन हो |

 

What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.