आत्मा वो चेतन तत्व है जो ब्रह्माण्ड के रहने या प्रलय के समय खत्म हो जाने पर भी रहती है | जब प्रलय होती है तो पूरा ब्रह्माण्ड सिमट कर आधे अंगूठे (अस्थ अंगुष्ठ) के आकार में आ जाता है | यह अस्थ अंगुष्ठ है क्या ?
Scientists इसे singularity कहते हैं, आध्यात्मिक दृष्टि से हम इसे ब्रह्म पुकारते हैं, पूरे ब्रह्मांड का रचयिता | यानि ब्रह्मांड में जितनी भी आत्माएं हैं, प्रलय के समय वे सभी ८४ लाखवी योनि में स्थापित हो जाती हैं |
पूरे ब्रह्मांड की सभी आत्माएं शुद्ध अवस्था में अस्थ अंगुष्ठ का आकार लेती हैं | यानि ब्रह्मांड की सभी आत्माओं के शुद्ध अवस्था में झुंड को हम भगवान, परमात्मा, ब्रह्म इत्यादि कहते हैं | भगवान वो नहीं जो आप सोचते हैं |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani