आत्मा के क्या गुण दोष होते हैं ?


आत्मा में स्वयं के गुण दोष नहीं होते लेकिन जब वह ब्रह्मांडीय सफर में निकलती है तो अशुद्धियां उसे घेर लेती हैं | इन्हीं अशुद्धियां को दूर करने के लिए आत्मा ऐसे ग्रह की खोज में रहती हैं जो जीवन के लिए उपयुक्त हो | और धरती मां पर 84 लाख योनियों का सफर शुरू हो जाता है |

 

खुद में अपने आप आत्माएं कुछ नहीं करती, दृष्टा की भांति काम करती हैं | कर्म करने के लिए वह एक के बाद एक शरीर धारण करती रहती हैं | जब मनुष्य योनि में आती हैं तो लक्ष्य होता है कब मनुष्य अध्यात्म में कदम रख तत्वज्ञानी हो जाए |

 

शुरू से लेकर आखिर तक आत्मा का एक ही उद्देश्य होता है – जल्दी से जल्दी अपने खोए हुए शुद्ध स्वरूप को वापस पा लेना | ऐसा तब संभव हो पाता है जब मनुष्य आध्यात्मिक शास्त्रों में डूबकर अंततः मोक्ष प्राप्त कर लेता है |

 

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