आत्मा शरीर में प्रवेश नहीं करती | वह तो शरीर को धारण करती है | जब हम कोट पैंट पहनते हैं हम उसमे प्रवेश नहीं करते बल्कि पहनते हैं | वह हमारे लिए एक आवरण है | उपनिषद् कहते हैं सौर मंडल से जुड़ी सारी आत्माएं सूर्य के गर्भ में या सतह पर रहती हैं | वहीं से वे remote control से मनुष्य शरीर को चलाती हैं | जब मनुष्य का जीवन समाप्त होने को है तो वे remote control स्विच ऑफ कर देती हैं |
जब हम कपड़े बाज़ार से खरीद कर लाते हैं पहनने के लिए तो कपड़े थोड़ी हमें बताते हैं क्या करना है कैसे करना है | हमारी इच्छा हम कुछ भी करें | आत्मा शरीर की मालिक है, जैसा चाहे करें | आत्मा को जरूरत होती है तभी तो वो शरीर धारण करती है अन्यथा क्यों ?
हर आत्मा अपने ब्रह्मांडीय सफर में चौरासी लाख योनियों का सफर तय करती है | मनुष्य रूप सबसे उच्च योनि है, जिस स्वरूप में आत्मा को final मुक्ति मिल सकती है अगर मनुष्य अध्यात्म की राह पकड़ रामकृष्ण परमहंस बन जाए | ब्रह्म और आत्माओं का रचाया खेल है, जैसा चाहे करे |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani