एक आत्मा को दूसरी आत्मा से बात करने की इजाजत नहीं दी ब्रह्म ने | क्यों ? जब आत्मा दृष्टा की भांति काम करती है तो interaction कैसा और किसलिए ? Interaction करने की वजह भी तो होनी चाहिए | जब आत्मा एक शरीर manifest करती है तो कारण अपने आप उत्पन्न हो जाता है | मूलतः देखा जाए आवाज़ तो प्रभु की ही होती है | हर जीव (मनुष्य समेत) खुद की बोली नहीं बोलते हैं | कैसे ?
जब All India Radio से लता मंगेशकर गाती हैं और दुनियाभर के transistors से लता जी का गाना सुनने को मिलता है, तो क्या वह transistor गा रहा है या उसमे बैठकर कोई गा रहा है ?आवाज़ तो ब्रह्म की ही है बस अलग अलग यंत्रों (आत्माओं) से निकल रही है |
भगवद गीता में कृष्ण इसलिए इस बात पर जोर देते हैं, दूसरा कुछ भी बोले, हमें अपनी वाणी पर संयम बरतना चाहिए, उत्तेजना नहीं | अपनी वाणी को दूषित करके क्या लाभ ? जब हम गलत शब्दों का प्रयोग करते हैं तो हम ब्रह्म की वाणी को अपवित्र करते हैं |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar