ब्रह्माण्ड में आत्माएं हमेशा से स्थित हैं | जब एक आत्मा धरती पर शरीर धारण करती हैं – मनुष्य या किसी निचली योनि में तो उस उस नव निर्मित शरीर को जीव कहते हैं | में विजय कुमार भी एक जीव और गली में रह रहा कुत्ता भी एक जीव | हम दोनों के अंदर आत्मा विद्यमान है |
जब तक आत्मा ने धरती पर शरीर धारण नहीं किया वह एक स्वच्छंद आत्मा है | शरीर धारण करते ही शास्त्रों में उसे जीवात्मा कहा जाने लगा | जीवात्मा जो कर्मों से बंधी है | उसे कर्मबंधन से मुक्ति मिलेगी जब मनुष्य रूपी जीव अध्यात्म की राह पर चलते हुए मोक्ष पाने की स्थिति में आ जाए |
अर्जुन के रथ और सारथी कृष्ण का रहस्य | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993 | Atma Jnani