हर आत्मा अपने जीवनकाल में ज्यादा से ज्यादा 84 लाख योनियों के सफर से गुजरती है | आखिरी 11 लाख योनियां मनुष्य रूप में हैं | 73 लाख निचली योनियों में सबसे पहले कीट पतंगों की योनि आती है | जब आत्मा हर तरह के कीट पतंगों का रूप धारण कर लेती है तो पेड़ पौधों की योनि में आती है |
हर तरह के पेड़ पौधों की योनियों से गुजर कर आत्मा पशु पक्षियों की योनि में आती है | हर वस्तु जिसमें चेतना, जीवन मौजूद है – उसे आत्मा ने धारण किया है | हम मनुष्य – मनुष्य योनि में आने से पहले हर तरह का वनस्पति जीवन व्यतीत कर चुके हैं | आध्यात्मिक दृष्टि से हर कीट पतंगा, वनस्पति, पशु पक्षी हमारे छोटे भाई बहन हुए |
यही कारण है हमें अकारण निचली जाति के जीव जंतुओं को कभी हानि नहीं पहुचानी चाहिए |
Are there 8.4 million species on Earth? चौरासी लाख योनियों का सच | Vijay Kumar Atma Jnani