क्या सभी आत्माएं एक जैसी हैं या मानव आत्माएं दूसरों से अलग हैं ?


शुरुआत में सभी आत्माएं एक श्रेणी में आती हैं – वह क्षण जब ब्रह्माण्ड उत्पन्न हो रहा है | अपने ब्रह्मांडीय सफर में आत्माएं अशुद्धियां आत्मसात कर लेती हैं | उसी तरह से – अगर हम एक शहद के गोले को आकाश में कई मीलों तक फेंकें तो उसका size काफी बढ़ जाएगा – अशुद्धियां चिपटती, लिपटती चली जाएंगी |

 

हर आत्मा का वजन और आकर अलग होगा – किसी पर कम किसी पर ज्यादा अशुद्धियां लिपटेंगी |

 

अब शुरू होता है आत्माओं का धरती पर 84 लाख योनियों का भ्रमण | 73 लाख योनियां तो निम्न कोटियों (अमीबा, कीट पतंगों, पेड़ पौधों और पशु पक्षी) की योनियों में गुजर जाते हैं | इस बात को इस तरह से समझें – 100 किलो अयस्क में 1 किलो शुद्ध सोना (एक शुद्ध आत्मा) है | वह 99 किलो अशुद्धियों से घिरी है |

 

मान लें 73 लाख योनियों से गुजरने के बाद अयस्क का वजन 12 किलो रह जाता है | इसका मतलब क्या हुआ – 1 किलो शुद्ध सोना अब सिर्फ 11 किलो अशुद्धियों से घिरा है यानि कर्मों के द्वारा अशुद्धियां 99 किलो से 11 किलो रह गईं | तो मनुष्य रूप में हमें अध्यात्म में उतरकर इस बची हुई 11 किलो अशुद्धियों को हटाना है यानि कर्मों की पूर्ण निर्जरा करनी है जिससे आत्मा अपने शुद्ध रूप में वापस आ जाए (1 किलो शुद्ध खरा सोना) |

 

सभी आत्माओं का मूल तत्व एक ही होता है परन्तु क्लेश हरेक में अलग अलग |

 

Difference between Atman and Brahman | आत्मा परमात्मा में भेद | Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.