जब से मनुष्य ने होश संभाला है आत्मा दृष्टा की भांति सूर्य के गर्भ में मग्न रहती है | Remote control से हमारे हृदय को चलाती है | वह भी जन्म के समय स्विच ON और आयु पूरी होने पर स्विच OFF | बीच में कोई छेड़खानी नहीं |
सब कुछ यथावत चलता रहता है बिना किसी व्यवधान के | मनुष्य जागा हो, सो रहा हो, गहरी नींद में हो, उससे आत्मा का कोई वास्ता नहीं | धरती पर जन्म से मनुष्य का जीवन धर्म और कर्म पर आधारित है | जैसा करेंगे वैसा भरेंगे |
अगर हम गीताप्रेस की ईशादि नौ उपनिषद् (66) को देखेंगे तो पाएंगे कि आत्माएं वाकई में सूर्य में रहकर धरती पर शरीर (जीवन) को चलाती हैं | इसमें शंका की गुंजाइश नहीं |
अच्छा साधक जो ध्यान करना सीख गया है वह अवचेतन मन (subconscious mind), यानि गहन निद्रा की स्थिति में भी ध्यान करता रहता है और अपने प्रश्नों के उत्तर ढूढता रहता है | इस प्रकार चिंतन 24 घंटे किया जा सकता है (round the clock) |
जब यह साधक सुबह उठेगा, तो जितने भी प्रश्न वह लेकर सोया था, सभी के उत्तर उसके पास होंगे (यानी प्रश्न जड़ से घुल चुके होंगे) |
Where does Soul live in Human Body? शरीर में आत्मा कहाँ निवास करती है? Vijay Kumar Atma Jnani