कोई भी आत्मिक रिश्ता सिर्फ और सिर्फ सत्य पर आधारित है जो हर आत्मा का मूल है | सत्य और धर्म हर आत्मा के साथ हर समय विद्यमान है | जब भी कोई जीव (मनुष्यों समेत) पैदा होता है तो धर्म साथ साथ चलता है | जब एक जीव दूसरे जीव से interact करता है तो अगर वह रिश्ता या बातचीत सत्य पर आधारित है तो जबानी agreement भी काफी है क्योंकि दोनों एक दूसरे पर पूर्ण विश्वास करते/रखते हैं |
जैसे जैसे कलियुग का प्रभाव बढ़ रहा है जबानी जमाखर्च में कमी आ रही है | लोगों का एक दूसरे पर विश्वास कम हो रहा है | सत्य के रास्ते पर चलना हर आत्मा/जीव का अपना prerogative (परमाधिकार) है | अगर एक भी सत्य के रास्ते से हट गया तो agreement कैसे होगा ?
आज के समय में भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो बड़े बड़े agreement सिर्फ जुबान के भरोसे कर लेते हैं | आप Ratan Tata को ले लीजिए | क्या उनकी जुबान के आगे और कुछ सोचने समझने की जरूरत है ? भगवान की दी जुबान और Ratan Tata की दी जुबान एक ही हैं | दोनों सत्य पर आधारित | Ratan Tata वो इंसान हैं जिनकी हर बात पर आंख मूंद कर भरोसा किया जा सकता है |
Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani