भगवान के दरबार में कोई ऐसा साधन नहीं जहां एक आत्मा दूसरी आत्मा से बात कर सके | इस जन्म में वो तुम्हारे पिता थे | मृत्यु के साथ रिश्ता खत्म | क्यों ? पता नहीं मृत्यु के बाद तुम्हारे पिता की आत्मा कहां और किस घर में दूसरा शरीर लेगी |
नया जीवन नया परिवार | पिछले रिश्ते से कोई नाता नहीं | ऐसी अवस्था में अगर पिता बहुत याद आते हैं तो हमें उनके बचे/रुके हुए कामों पर ध्यान देना चाहिए जो वह जिंदा रहते हुए करना चाहते थे लेकिन किसी कारणवश कर न सके | अगर हमारी सामर्थ/श्रृद्धा है कि हम उन अधूरे कार्यों को निबटा सकें तो अवश्य उन्हें पूर्ण करने की कोशिश करनी चाहिए |
Example के तौर पर, अगर हम छोटे हैं और पिता चाहते थे कि हम पढ़लिख कर एक सफल इंजिनियर/डॉक्टर बन जाएं तो उनके आकस्मिक जाने के बाद हमें पूरी श्रृद्धा के साथ खुद को अच्छी पढ़ाई लिखाई में झोंक देना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए | अपने गुजरे पिता को इससे बेहतर श्रद्धांजलि हो नहीं सकती – उनका भी सपना पूरा हो गया और हम भी एक कामयाब इंसान बन गए |
वक़्त के साथ फिर पिता की यादें इतना तंग नहीं करेंगी | जीवन रुकता नहीं, हिम्मत तो करनी ही होगी | ब्रह्म ने सभी को अर्जुन बनाया है | आध्यात्मिक न भी हों, एक बार आज का अर्जुन कौन जरूर देखें, जिंदगी आसान हो जायेगी |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar