भारतीय दर्शन में आदि शंकराचार्य का अद्वैत सिद्धांत कहता है ब्रह्म के अलावा पूरे ब्रह्माण्ड में और किसी विभूति का अस्तित्व नहीं है | प्रलय के बाद रह जाते हैं ब्रह्म और सिर्फ ब्रह्म, बाकी सब कुछ समाविष्ट हो जाता है ब्रह्म में |
इसी कारण अद्वैतवाद को doctrine of maya भी कहते हैं | Doctrine of Maya के अनुसार यह भौतिक जगत चलचित्र की तरह है, exist ही नहीं करता | अगर हम हर जड़ वस्तु के मूल में देखें तो पाएंगे सिर्फ atoms और molecules के गुच्छे | यानी पर्वत, पेड़ पौधे, यहां तक मनुष्य भी – सिर्फ atoms और molecules के गुच्छे | लगता तो सच ही है |
ब्रह्म की दृष्टि में सिर्फ हवा, आसमान और कुछ भी नहीं | प्रलय के बाद जब सिर्फ ब्रह्म रह जाते हैं तो द्वैत का इस दुनियां में कोई अस्तित्व ही नहीं | ज्ञानयोग के रास्ते पर चलकर साधक इस बात को भलीभांति समझ सकता है |
What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani