किस घटना ने जीवन का रुख पूरी तरह से मोड़ दिया ?


मैं ६ १/२ वर्ष का था जब मैंने यह तय किया कि भगवान कौन होते हैं यह खोजूंगा | जब मैं ८ वर्ष का था तो ब्रह्म ने पूछा, क्या हुआ, तू तो भगवान के पीछे आना चाहता था, कहां रह गया | कुछ देर के लिए मैं सिंहर गया जैसे कोई चोरी पकड़ी गई | कुछ सोच कर कहा थोड़ा समय दीजिए सोचने के लिए | स्कूल के कामों में मस्त और फैसला अभी तक नहीं किया |

 

६ महीने बाद फिर ब्रह्म की दस्तक, फाइनल किया ? भगवान के पीछे आने का मतलब जानता है, जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए छुटकारा | मैंने फिर सोचकर कहा एक दिन की मोहलत और दो | अगले दिन जैसे ही ब्रह्म ने दस्तक दी, मैं पहले से ही तैयार था और मुंह से निकला, हां और मेरा आध्यात्मिक सफर शुरू हो गया |

 

यह जन्म और मृत्यु का ही चक्कर था जिससे मैं डर सा गया और सोचने पर अच्छा लग रहा था बार बार जन्म नहीं लेना पड़ेगा |

 

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