सनातन श्रुति जैसे वेद, उपनिषद् और भगवद गीता क्या प्रतिपादित करते हैं – कि हम एक आत्मा हैं जो शुद्धि के लिए ब्रह्मांडीय सफर पर निकली है | स्वयं खुद की शुद्धि कर नहीं सकती तो धरती पर शरीर धारण करती रहती है जब तक मुक्ति के द्वार तक न पहुंच जाए – मुक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से |
तो मनुष्य शरीर क्या हुआ – remote control से संचालित मात्र एक रोबोट | तो मनुष्यों का खुद कोई आधार नहीं, सत्ता तो आत्मा की है | और आत्मा यानि स्वयं के सच को जानना है तो अध्यात्म में उतरना ही होगा | सांसों के द्वारा हृदय में स्थित भगवान कृष्ण तक पहुंचने के लिए अध्यात्म ही एकमात्र रास्ता है |
मानव जीवन तो क्षणभंगुर है – और आत्मा सदैव रहती है – न पैदा होती है न मरती है – तो साम्राज्य किसका हुआ – आत्मा का ! यह अध्यात्म ही है जो इंसान को महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बना देता है | सही देखा जाए तो अध्यात्म पूरे विश्व को भारत (सनातन संस्कृति) की अमूल्य देन है |
What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani