ब्रह्मचर्य गृहस्थ संन्यास तथा वानप्रस्थ इन चार आश्रमों में कौन सर्वश्रेष्ठ है ?


मनुष्य शरीर में पैरों, शरीर, हाथों, कान, आंखों में कौन सर्वश्रेष्ठ है ? उत्तर होगा सभी | सभी आश्रम जीवन की अलग अलग अवस्थाएं हैं | जीवन के शुरू के 25 वर्ष माता पिता की देखरेख में गुजरते हैं – ब्रह्मचर्य आश्रम | यह वह समय है जब हम अपने को शिक्षित करते है आने वाले समय के लिए |

 

उसके बाद किसी profession में स्थापित होकर अपनी गृहस्थी बसाते हैं – गृहस्थ आश्रम | अब हम directly माता पिता पर आश्रित नहीं हैं | बड़े होते हैं तो परिपक्वता भी बढ़ती जाती है | अब हम पूरे परिवार के लिए जवाबदेह हैं |

 

50 वर्ष की आयु पार करते ही हम वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करते हैं | पहले समय में 50 तक पहुंचते पहुंचते परिवार पूरी तरह set हो जाता था | और माना यह जाता था कि अब कुछ समय भगवान को भी देना चाहिए | चिंतन/ मनन करने के लिए यह सबसे बेहतर समय था | परिवार से भी जुड़े हैं और धार्मिक कर्मकांडो में भी समय दे रहे हैं |

 

75 की आयु पार करने का मतलब होता था – पोते पोतियों के साथ खेलने कूदने का समय भी निकल गया | और अब ज्यादातर वक़्त घर में ही सन्यासी की भांति गुजारना है – भक्तियोग या ज्ञानयोग में | शास्त्रों का पठन पाठन लगभग रोज़ की क्रिया होनी चाहिए |

 

भारतीय दर्शन इतना विलक्षण और सारगर्भित है कि गलती की कोई गुंजाइश नहीं | सामग्री उपलब्ध है – हमें सिर्फ रास्ता तय करना है |

 

Right Age to start a Spiritual Journey | आध्यात्मिक ज्ञान लेने की सही उम्र | Vijay Kumar Atma Jnani

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