पूर्व और पश्चिम में बहुत सारे गुरु ज्ञान के लिए अपना रास्ता बताते हैं – कैसे जानें वह सच बोल रहे हैं ?


ब्रह्म का साक्षात्कार हुए 30 वर्ष हो गए | इंटरनेट पर 6500 के लगभग articles हैं English में (काफी websites हैं) | दुनियाभर में 10 लाख से ज्यादा silent साधक हैं जो नियमित रूप से मेरे द्वारा लिखित articles पढ़ते रहते हैं | तो क्या मैं अपना ही आध्यात्मिक केंद्र, अपनी ही आध्यात्मिक शिक्षा प्रणाली शुरू कर दूं ?

 

सत्य एक है | जो महावीर, आदि शंकराचार्य, महर्षि रमण ने दिव्य दृष्टि से देखा वहीं मैंने भी | इसमें अपना आश्रम खोलने की गुंजाइश कहां है ? जब अपनी मैं लुप्त हो गई, कोई मैं बची है नहीं तो अपना खोलूंगा क्या ? जब तक चारपाई लेकर बरगद के नीचे बैठने का decide किया, इंटरनेट आ गया |

 

जो गुरु सत्य पर स्थापित है उसका आश्रम हो ही नहीं सकता | ब्रह्म इसकी इजाज़त नहीं देते | जब घर में दो वक़्त की रोटी के पैसे नहीं होते थे तो ब्रह्म से कई बार मिन्नत की, कि पुस्तक लिखने की परमिशन दे दो, जवाब आया – No | ब्रह्म बोले, किताबों से आयी रॉयल्टी के पैसे गिनने में ही व्यस्त हो जाएगा |

 

इसी कारण महर्षि रमण चारपाई पर बैठे प्रश्नों के उत्तर दिया करते थे | कौन सच्चा है पहचानना मुश्किल नहीं | उसके लिए हमें सत्यवादी बनना होगा, सच और झूठ की पहचान seconds में हो जाएगी |

 

Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani

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