आत्मा प्रकाशित होने से मतलब है आत्मा का अपने पूर्ण शुद्ध रूप में वापस आ जाना | जब साधक अध्यात्म में उतर ज्ञान के प्रकाश के द्वारा अज्ञान के अन्धकार को काट उजाले की ओर बढ़ता है तो हम कह सकते हैं आत्मा धीरे धीरे प्रकाशित हो रही है | अगर हमने घर में बल्ब के ऊपर ऐसा स्विच लगा रखा है जो थोड़ी थोड़ी देर में प्रकाश थोड़ा तेज कर देता है तो हम कहेंगे आत्मा प्रकाशित हो रही है |
जब हम आध्यात्मिक सफर शुरू करते हैं तो हमारा मस्तिष्क 2~3% एक्टिव होता है | बाकी हमेशा से बंद पड़ा है | जब हम शास्त्रों में उलझते हैं, चिंतन करते हैं – तो बंद पड़ा मस्तिष्क धीरे धीरे खुलने लगता है | और आखिर में, सहस्त्रार खुलते ही brain 100% active हो जाता है | इसी स्टेज, स्थिति को आत्मा का पूर्ण प्रकाशित होना कहते हैं |
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani