पूर्व जन्म के कर्म इस जन्म में क्यों मिलते है – क्या पूर्व के अच्छे फल इस जन्म में मिलते है ?


कर्म बाकी हैं तभी तो आत्मा को एक और शरीर धारण करना पड़ता है | अगर इंसान आध्यात्मिक होकर कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर ले तो आत्मा पूर्ण शुद्धि प्राप्त कर लेगी | एक शुद्ध हुई आत्मा को शरीर की कोई आवश्यकता नहीं | आत्मा तो शरीर धारण ही तब तक करती है जब तक उसे अशुद्धियों ने जकड़ रखा है |

 

यह शरीर धारण करने का सिलसिला आगे कैसे बढ़ता है ? इसके लिए आत्मा को जरूरत होती है धर्म और कर्म की | धर्म हर जीव के साथ पैदा होने के समय से है | हम हर समय धर्म से बंधे हैं | कर्म की आवश्यकता पड़ती है एक योनि से दूसरी योनि में पदार्पण करने के लिए | मृत्यु के समय जो karmic balance होता है, वह decide करता है कि आत्मा अगला जन्म किस परिवार में लेगी |

 

आखिरकार matching parents भी तो मिलने चाहिए |

 

अब मृत्यु के समय हमारा जो भी संचित कार्मिक index है उस पर base करते हुए आत्मा नया जन्म लेती है | लेकिन यहां एक लोचा है | जरूरत से ज्यादा समझदार मनुष्य जो भगवान ने बनाया, कहीं कर्म को interpolate/manipulate न कर ले तो भगवान पूरा संचित कर्म जन्म के समय फलित नहीं करते | उसका कुछ अंश बाद में फलित होने के लिए छोड़ देते हैं |

 

हमारे पिछले जन्म का कर्मफल अच्छा या बुरा, उस आधार पर नया जीवन मिला | तो उन ५ या १०% बचे हुए संचित कर्मफल का क्या जो अभी फलित होना बाकी है ?

 

२०१२ में जब मैं US में था तो अख़बार में पढ़ा, एक धोबिन (washer woman) की ७८० करोड़ की lottery लगी है | जो धोबिन किसी तरह से गुजर बसर कर रही थी, तो यह क्या था ? पिछले जन्मों के संचित कर्म (जो पुण्य थे यानी पॉजिटिव) अब अचानक फलित हो गए | ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है | लेकिन इसके विपरित क्या ?

 

अगर हमारा संचित कार्मिक balance जो अभी फलित होना बाकी है, नेगेटिव हुआ तो (पाप कर्मों के कारण) – जब वह फलित होगा तो हमारे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ेगा | इसलिए भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं, हमेशा पुण्य कर्म में संलग्न रहो | अन्यथा आने वाले अगले जीवन में रोना पड़ सकता है | भाग्य और कुछ नहीं हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का लेखा जोखा है |

 

What Karma really means? कर्म का वास्तव में क्या अर्थ है? Vijay Kumar Atma Jnani

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