जीवन भोग विलास नहीं बल्कि सच्चे कर्मयोगी के लिए संघर्ष ही जीवन है ?


महाभारत महाकाव्य के रचयिता महर्षि वेदव्यास कहते हैं – हृदय में स्थित सारथी कृष्ण (हमारी अपनी आत्मा) हर समय अंदर से एक ही बात कहते हैं – हे अर्जुन, अब देरी न कर, शस्त्र उठा और धर्मयुद्ध शुरू कर | तो महर्षि वेदव्यास अनुसार धरती पर मौजूद हर इंसान अर्जुन है और उसका परम कर्तव्य है कर्मयोगी बनकर कर्मों की निर्जरा करना |

 

अज्ञानी साधक भोग विलास त्याग नहीं पाता और एक सच्चा कर्मयोगी आध्यात्मिक सफर पूरा करने के लिए 12 वर्ष की ध्यान और ब्रह्मचर्य की अखंड तपस्या में उतर जाता है |

 

What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar

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