न भगवान का नाम न ही पूजा पाठ लेकिन हमेशा सत्कर्म किये तो क्या भगवान की कृपा मिलेगी ?


जब से ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ पूरे ब्रह्मांड की कमान धर्म और कर्म के हाथों में है | ब्रह्म तो दृष्टा बने बैठे हैं | धर्म क्या कहता है – हमेशा पुण्य कर्म करो बिना दूसरो का अहित किए | और कर्म तो कर्म ही है – जैसा कर्म करोगे वैसा फल पाओगे |

 

इन्हीं बातों को ध्यान में रख अगर हम एक सत्कर्मी का विशलेषण करें तो पाएंगे उससे ज्यादा धर्मनिष्ठ कोई नहीं | प्रभु की विशेष कृपा का अगर कोई हकदार है तो यह सत्कर्मी | क्योंकि हर सत्कर्मी खुद के अलावा दूसरों के हितों का भी खयाल रखता है |

 

What is the true Meaning of Dharma? धर्म का सही अर्थ क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani

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