क्या कुंडलिनी जागृति होने से सिर में दर्द होता है ?


कुण्डलिनी जागरण अध्यात्म में एक स्वाभाविक क्रिया है | जब हमारे मूलाधार में ब्रह्मांडीय शक्ति (अमृत) इकट्ठा होने लगता है तो कुण्डलिनी सर्प सक्रिय होने लगता है | इसका नतीजा होगा हमारी मेधा नाड़ी में स्थित चक्र activate होना शुरू हो जाएंगे (खुलने लगेंगे) |

 

इन सब क्रियाओं के पीछे वजह क्या है ? क्यों होता है ऐसा ?

 

अध्यात्म कहता है – हम एक आत्मा हैं और स्वयं की शुद्धि के लिए (कर्म करने के लिए) एक शरीर धारण किया है | जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसका मस्तिष्क लगभग 1~3 % active होता है – बाकी बंद पड़ा रहता है | भौतिक जीवन जीने के लिए यह 1~3% एक्टिव brain ही काफी है – बाकी बंद पड़ा brain सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म के द्वारा ही एक्टिव होता है |

 

कहने का तात्पर्य है – जब यह बचा 97% brain active हो जाएगा तो मनुष्य उसी वक़्त रामकृष्ण परमहंस बन एक तत्वज्ञानी कहलायेगा | बचे 97% brain को activate करने के लिए ही 12 साल की ब्रह्मचर्य और ध्यान साधना की तपस्या की जरूरत पड़ती है | महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, महर्षि रमण इत्यादि सभी का brain 100% active था |

 

जब साधक सदियों से सोए हुए brain को activate करता है / जगाता है तो सिर में भयंकर पीड़ा होती है | ब्रह्म की खोज में जब मुझे इस सिरदर्द ने परेशान करना शुरू किया तो समय समय पर स्कूल से छुट्टी लेनी पड़ती – डॉक्टरों का खर्च अलग से | कितने भी डॉक्टर आए – किसी की समझ में नहीं आया – हो क्या रहा है !

 

बाम लगा कर लेट जाता था – अकथित दर्द के साथ | सबसे ज्यादा सिरदर्द ने जो मुझे परेशान किया वो 7 दिन का था यानि लगातार 7 दिन तक भयंकर सिरदर्द और दवा कोई नहीं | सिरदर्द खत्म होने के बाद जो अहसास होता था वो ऐसा जैसे ब्रह्म गोदी में लिए बैठे हों | आनंद की सबसे बड़ी अनुभूति – शब्दों में बयां के परे !

 

कुण्डलिनी जागरण की यह ऐसी प्रक्रिया है जिससे होकर हर साधक को गुजरना पड़ेगा – आखिर बंद पड़े 97% brain को activate जो करना है |

 

Why do I feel headache after Meditation? ध्यान में सिरदर्द क्यों होता है | Vijay Kumar Atma Jnani

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