पूर्ण कुण्डलिनी जागरण यानी जीवन में महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण के लेवल पर पहुंचना | कुण्डलिनी जिसके जागरण के लिए ब्रह्म ने मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर जो लगभग एक करोड़ वर्ष की अवधि लेगा तय किया है | आखिरी बार जिसका कुण्डलिनी जागरण हुआ था वह महर्षि रमण थे जो १९५० में शरीर त्याग गए |
ब्रह्म के बनाए नियमानुसार पूरे विश्व के ८०० करोड़ लोगों में १००~१५० सालों में १~२ साधकों को पूर्ण कुण्डलिनी जागरण का मौका मिलता है | हर साधक को अध्यात्म का रास्ता पकड़ कर, ध्यान में चिंतन के माध्यम से उतरकर पूर्ण कुण्डलिनी जागरण करनी होती है | यह अंदरूनी सफर खुद चलना पड़ता है इसमें कोई गुरु क्या मदद कर सकता है |
How does it feel when kundalini awakens? कुंडलिनी जागृत होने पर क्या होता है? Vijay Kumar Atma Jnani