प्राचीन भारत में शिक्षा की व्यवस्था क्या थी ?


भारतीय शिक्षा पद्धति हमेशा से अद्वितीय रही है जिसे गुरुकुल या गुरु – शिष्य परंपरा के नाम से जाना जाता है | इस शिक्षा पद्धति के तहत ५ वर्ष की आयु से बच्चे की पढ़ाई/शिक्षा की जिम्मेदारी स्टेट/गुरुकुल की होती थी (स्टेट यानि वह राज्य जहां गुरुकुल स्थापित है) |

 

यहां पर पढ़ाई और शिक्षा का फर्क समझने की जरूरत है | पहले समय में गुरुकुल में जो शिक्षा प्रदान की जाती थी उसका मूल उद्देश्य होता था शिष्य को उन कलाओं में पारंगत करना जो उसके लिए सर्वोचित हैं | यह निर्णय गुरुकुल के शीर्ष आचार्यों और खुद शिष्य की रजामंदी से होता था | किसी pressure के under नहीं जैसा आज के समय में होता है |

 

आज के समय का पढ़ाई का तरीका – जा बेटा पढ़ाई कर ले और कुछ बन जा, नौकरी मिलने (सरकारी) और रोटी रोज़ी कमाने में काम आएगी | पढ़ाई नौकर बनाती है जबकि शिक्षा आप के अंदर निहित स्वयं को निखारती है, आप के व्यक्तित्व को आगे बढ़ाती है | मनुष्य योनि में ही मोक्ष मिल सकता है तो स्वयं को आगे बढ़ाना राज्य की जिम्मेदारी के तहत आता था |

 

Global deep state यानी ऐसी पैशाचिक व्यवस्था जिन्होंने पूरी दुनिया पर अपना दबदबा कायम कर रखा है, ने तय किया कि भारत की शिक्षा प्रणाली को चरमराया जाए जिससे वह समूल नष्ट हो जाए और lord Macauley British द्वारा भारत पर थोप दिए गए | और पढ़ाई के नाम पर english medium education द्वारा पैदा होने लगे slaves (गुलाम).

 

अंदर से पैदा होती सांस्कृतिक विरासत मर गई | और लगभग पूरा भारत अंग्रेजियत का गुलाम हो गया ईस्ट इंडिया कम्पनी के द्वारा | आज के समय में बच्चा english medium school में पढ़ाई कर, IIT, IIM का तमगा लगा कर फख्र महसूस करता है जब उसे अमेरिका से किसी multinational company का job offer आता है |

 

गुरुकुल के समय में बच्चा अगर शस्त्रों में काबलियत दिखाता था तो उसे उच्च कोटि की शस्त्रों से related शिक्षा प्रदान की जाती थी द्रोणाचार्य जैसे आचार्य के under में | और finally पैदा होता था एक ऐसा जाबांज योद्धा जो शिवाजी के समय में Mughal camp में घुस दर्जनों गर्दनें काट आता था |

 

अगर बच्चे का झुकाव शास्त्रों में होता तो उसका उच्च कोटि के वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता के अंदर निहित ज्ञान से परिचय कराया जाता | जैसी बच्चे की परिणति, वैसी शिक्षा उसे प्रदान की जाती | गुरुकुल के समय में जो शिक्षा प्रणाली भारत में थी वह अब फिर से २०३४ से चालू होने जा रही है | नई प्रणाली की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं और अंत करेंगे आने वाला कल्कि अवतार |

 

गुरुकुल की सबसे बड़ी विशेषता – ५ वर्ष का बालक या बालिका गुरुकुल में जब माता पिता छोड़ जाते थे तो उसके बाद की संपूर्ण जिम्मेदारी गुरुकुल की होती थी लगभग १० ~ १५ वर्षों तक | शिक्षा के नाम पर माता पिता से फूटी कौड़ी भी नहीं ली जाती थी | सारी जिम्मेदारी राज्य और गुरुकुल की होती थी |

 

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