हमारा जन्म और मृत्यु कौन निर्धारित करता है ?


जन्म है तो मृत्यु है और मृत्यु होगी तो जन्म भी होगा – यह शाश्वत नियम है | आत्मा शरीर धारण करती है तो जीव का जन्म होता है | मनुष्य एक जीव है यानि उसमे चेतन है | हम पिछले जन्म में मनुष्य थे | मृत्यु के समय जो हमारा karmic balance था उसके आधार पर आत्मा को नया शरीर मिला | जैसा करेंगे वैसा भरेंगे – कर्म का शाश्वत नियम है |

 

पैदा हो गए और उसी के साथ हमारी आयु भी निश्चित हो गई | अगर ऐसा है तो भगवान ने free will क्यों दी ? मान लीजिए अब तक आपकी आत्मा 11 लाख मनुष्य योनियों में से 1 लाख योनियां काट चुकी है और यह 1 लाख एकवी योनि है | तो 1 लाख योनियों का जो karmic शेष है (balance sheet), जो पीछे से चला आ रहा है, वह निश्चित करता है हमारी वर्तमान में आयु कितनी होगी |

 

हम वर्तमान जीवन के 70~80 वर्ष की आयु भी जोड़ लें तो खास फ़र्क नहीं पड़ेगा | हां, अगर इंसान महर्षि रमण पैदा हो और तय कर ले कि इसी जन्म में ब्रह्म से मिलना है और 84 लाखवी योनि में स्थापित होना है तो बिल्कुल अलग बात है | ऐसा इंसान जो जन्म मृत्यु की बेड़ियां काट मुक्ति के द्वार तक पहुंचने की क्षमता रखता है उसके लिए एक जीवन की value क्या ?

 

महर्षि रमण जैसा साधक तो समयातीत होता है, समय की पहुंच से बाहर ! आम इंसान की जब मृत्यु होगी तो जो karmic balance होगा उस आधार पर आत्मा नया शरीर लेगी |

 

What Karma really means? कर्म का वास्तव में क्या अर्थ है? Vijay Kumar Atma Jnani

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