इंसानी जिंदगी में जीवन के लक्ष्य के बिना जीवन पास करने का कोई महत्व नहीं | जीवन तो पशु पक्षी भी गुजारते हैं | जीवन जीने के लिए बना है पास करने के लिए नहीं | 5 वर्ष की आयु में भगवान से पहली मुलाक़ात हुई | उनके पीछे जाने का तय किया | स्कूल जाने लगा लेकिन अंदर भगवान की खोज जारी थी |
लगभग 8 1/2 साल की उम्र में भगवान ने finally पूछा – मेरे पीछे आना चाहता है, जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए निकलना चाहता है तो मुंह से निकला हां | और मेरे जीवन का लक्ष्य तय हो गया | लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गुरु को ढूंढा – नहीं मिला | अंततः हारकर भगवान से यूं ही पूछ लिया – गुरु बनोगे तो आवाज़ आयी हां |
फिर क्या था लक्ष्य भी fixed और गुरु भी उपलब्ध – फिर जीवन में मुड़ कर नहीं देखा | सफर धीरे धीरे चलता रहा | IIT से engineering पूरी की | 24 की उम्र में शादी के बाद 12 वर्ष की अखंड ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या में उतर गया | 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार और जीवन क्रम पूरा हुआ |
अगर जीवन में 8 1/2 वर्ष की उम्र में लक्ष्य नहीं बनाता तो जिंदगी औरो की तरह गुजरती रहती | पैदा हो और 70–80 वर्ष के बाद मृत्यु | फिर पैदा हो और फिर मृत्यु – मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का क्रम जो है |
इंसान पैदा हुए हैं, धरती पर सबसे उच्च योनि में स्थापित हैं – जीवन का लक्ष्य तो होना ही चाहिए ?
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani