जीवन का आखिरी लक्ष्य हमारा तो हो ही नहीं सकता | यह मनुष्य जीवन हमारी आत्मा ने लिया है तो लक्ष्य भी उसी का होगा और देखा जाए आत्मा भी नहीं, जीवन का आखिरी लक्ष्य ब्रह्म ने पहले से तय किया हुआ है | हर आत्मा का आखिरी लक्ष्य, ultimate goal of life है अध्यात्म में उतर ब्रह्म को पा लेना | हम मनुष्यों का योगदान है कि हम आध्यात्मिक सफर सफलतापूर्वक चलें और कर्मों की पूर्ण निर्जरा करने में कामयाब हों |
जो लक्ष्य ११ लाख योनियों में पूरा करना है वह इस वर्तमान जीवन में भी पूरा कर सकते हैं | इसके लिए हमें १२ साल की ब्रह्मचर्य की तपस्या में उतरना होगा, साथ साथ १२ साल का ध्यान चिंतन के माध्यम से | रास्ता कठिन है, नामुमकिन नहीं | आखिरी साधक जो ऐसा करने में सफल हुए वे थे महर्षि रमण जिन्होंने १९५० में शरीर त्याग मोक्ष लिया | उनसे पहले १८८६ में रामकृष्ण परमहंस शरीर त्याग मोक्षगामी हो गए |
अगला नंबर कल्कि अवतार का है जिनका दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani