जीवन के गूढ़ रहस्य सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म में छिपे हैं | भारतीय दर्शन शास्त्र कहते हैं यह जीवन हमारी आत्मा ने लिया है जो अजर अमर है | आत्मा स्वयं की शुद्धि स्वयं नहीं कर सकती, इसलिए वह एक के बाद एक शरीर धारण करती है जिससे कर्मों की पूर्ण निर्जरा हो सके और आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप में वापस आ जाए |
अपने शुद्ध स्वरूप में वापस आने के लिए आत्मा ८४ लाख योनियों का सफर करती है जिसमें ११ लाख योनियां सिर्फ मनुष्य रूप में हैं | निचली योनियों में आत्मा मुक्ति नहीं पा सकती, यह संभव मनुष्य योनि में ही हो पाता है जब मनुष्य कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर मोक्ष की स्थिति में आ जाता है |
मनुष्य रूप में हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है – हम अध्यात्म में ध्यान में चिंतन के सहारे उतरें और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपनी कुण्डलिनी जागरण करने में सफल हो जाएं | जैसे ही हमारे सातो चक्र खुलेंगे और सहस्त्रार खुलेगा हम निर्विकल्प समाधि में हमेशा के लिए स्थापित हो जाएंगे |
तत्वज्ञानी बनकर जब हम शरीर छोड़ेंगे तो मोक्ष मिल जाएगा | हर मनुष्य का जीवन का अंतिम goal तो आध्यात्मिक सफर हैं, वह चाहे हम इस जन्म में कर लें या ११ लाख में से अन्य किसी योनि के लिए छोड़ दें |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani