मेरी नए कार्य में ज्यादा रुचि रहती है हर काम अधूरा छोड़ देता हूँ – इस आदत को कैसे सुधारूं ?


मनुष्य जीवन का मूल सिद्धांत है – पहले लक्ष्य निर्धारित करो फिर तीर से मछली की आंख के मध्य में निशाना साधों | बिना लक्ष्य मानव जीवन का क्या मोल ? बात रुचि की नहीं – लक्ष्य तक पहुंचने की है | जब हम जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तो अपनी समस्त ऊर्जा उस goal को हासिल करने में लगा देते हैं अन्यथा समस्त ऊर्जा बिखर कर विलीन हो जाएगी और हम जीवन में vaccum महसूस करेंगे |

 

मैंने 5 वर्ष की आयु में आध्यात्मिक यात्रा शुरू की | 6 1/2 वर्ष की आयु में तय किया इसी जन्म में ब्रह्म को खोजूंगा और मिलूंगा भी | 8 1/2 वर्ष की आयु में final किया लक्ष्य से कभी भी विमुख नहीं होऊंगा – चाहे कुछ भी हो जाए (कुछ भी) | 37 वर्ष की अवस्था में ब्रह्म का 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार और जीवन की संध्या हो गई – जन्म मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त !

 

आध्यात्मिक सफर कठिन था – बेहद मुश्किल लेकिन पग पग पर खुद ब्रह्म ने मदद की | जुनून था सो पूरा हुआ | जीवन लक्ष्य को त्याग दूसरे लक्ष्य की ओर भटक जाने का प्रश्न ही नहीं उठता | मेनका देखी नहीं कि विश्वामित्र की तरह भटक गए – यूं तो ब्रह्मचर्य व्रत टूट जाता | जीवन में goal कितना आवश्यक है नीचे वीडियो में देखें –

 

What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani

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