कोई भी इंसान जो सही मायने में अंदर से सुखी है (आनंदित रहता है) वह कभी दिखावे में विश्वास नहीं करता | सो लोगों में यह मान्यता घर कर गई कि जो दिखावा कर रहा है, वास्तव में अंदर से दुखी होगा | यह बात सच भी है क्योंकि ऐसे इंसान के पास सभी भौतिक सुख तो होंगे लेकिन अंदर शून्य है यानी आनंद नदारद |
अंदर से आनंदित इंसान normally भगवान में खूब विश्वास रखता है और दूसरों को दुखी देखकर खुश नहीं होता | उसे मालूम है दिखावा करने से दूसरे दुखी हो सकते हैं | उसे यह अहसास भी है दिखावे के कोई मायने नहीं |
जिस इंसान की सोच positive है वह हर हालात में खुश रहता है | जीवन का सच भी यही है कि हम हमेशा positive विचारों में व्याप्त रहें | समुद्र मंथन की कथा भी यही कहती है |
Samudra Manthan ki gatha | समुद्र मंथन की गाथा | Vijay Kumar Atma Jnani