एक चीज जो इंसान की अपनी निजी है – जिसे कोई भी हमसे छीन नहीं सकता – चाहे वह अपने माता पिता भाई बहन ही क्यों न हों – वह है हमारी अपनी सोच | यह सोच ही है जो इंसान को JRD Tata (एक perfect कर्मयोगी) या राजा जनक (ब्रह्म साक्षात्कार किए केवल्यज्ञानी) के level तक भी ले जा सकती है | सिर्फ सोच और कुछ भी नहीं | एक सफल इंसान बनने के लिए शिक्षित होना भी जरूरी नहीं | शिक्षा हमारी journey को सिर्फ तेज़ (expedite) करती है |
असली ज्ञान तो अंतरंग है जो सिर्फ अध्यात्म में उतरने से आता है | ब्रह्म के साक्षात्कार के आगे/ उसके बाद कुछ प्राप्त करना शेष नहीं रहता | निपुढ़ so-called अज्ञानी भी अध्यात्म में उतरकर ब्रह्म को प्राप्त कर सकता है यानि जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए छुट्टी | कहने का तात्पर्य यह है कि धरती पर स्थित 800 करोड़ लोगों में हर इंसान को ब्रह्म को प्राप्त करने की आजादी है – सिर्फ सोच बदलनी होगी – नकारात्मक विचारों का त्याग करना होगा और सिर्फ और सिर्फ हर समय सकारात्मक विचारों का आवाहन |
नीचे दिए समुद्र मंथन के वीडियो में सब समझ आएगा |
Samudra Manthan ki gatha | समुद्र मंथन की गाथा | Vijay Kumar Atma Jnani