विद्या को मूलतः हम किताबी ज्ञान के रूप में देखते समझते हैं | जीविकोपार्जन के लिए विद्या का होना आवश्यक है | आप किसे भी क्षेत्र में विद्या हांसिल कर या तो खुद का business कर सकते हैं अथवा नौकरी | जीविकोपार्जन के लिए ज्ञान का होना आवश्यक नहीं | एक अनपढ़ गंवार इंसान भी रोटी रोजी का इंतजाम कर लेता है |
अगर हम ब्रह्म को पाना चाहते हैं तो हमे योग से जुड़ना होगा | बिना ध्यान साधना में उतरे और ब्रह्मचर्य का पालन किए आध्यात्मिक प्रगति संभव नहीं | और ध्यान साधना क्या होती है, ध्यान कैसे किया जाता है – यह हमे वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता में निहित ज्ञान बताता है | आध्यात्मिक ज्ञान मूलतः चिंतन (contemplation) के माध्यम से अर्जित किया जाता है |
Basic sciences की जानकारी भी ज्ञान के तहत आती है | अगर हम खगोलशास्त्री बनना चाहते हैं तो हमें विभिन्न खगोल शास्त्रों में निहित ज्ञान में उलझना होगा | यहां हमें चिंतन में भी उतरना होगा – और साथ साथ वेदों इत्यादि में निहित खगोल ज्ञान को भी जानना होगा | जितनी भी नई खोजें होती है वे ज्यादातर ज्ञान का नतीजा होती हैं न कि सिर्फ विद्या का |
मूलतः जीने के लिए विद्या चाहिए और हम खुद को, ब्रह्म को जानना चाहेंगे तो ज्ञान | सिर्फ विद्या हांसिल करने से स्वयं की आध्यात्मिक प्रगति संभव नहीं | हम जीवन दर जीवन जन्म और मृत्यु के चक्र में घूमते रहेंगे | जन्म और मृत्यु चक्र से छुटकारा पाने के लिए ज्ञान के क्षेत्र में कदम रखना ही होगा | सनातन धर्म में निहित वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता ज्ञान को आत्मसात करना ही होगा |
How spiritual values can be taught in school? आध्यात्मिक ज्ञान क्या स्कूलों में पढ़ाया जा सकता है