जब महावीर को केवल्यज्ञान प्राप्त हुआ तो उन्होंने सोचा जो प्राप्त किया है वह वापस देना चाहिए | उनकी वाणी को ग्रहण करने वाला एक भी इंसान धरती पर मौजूद नहीं था | उन्होंने मौन धारण कर लिया | लगभग १ १/२ वर्ष बाद जब गौतम गणी नामक गणधर उनके पास आया तो महावीर की वाणी खिली और उन्होंने देशना (discourse) चालू की |
अध्यात्म की गहराई को स्वयं समझा जा सकता है, यह भीतर का सफर है, बाहरवाला क्या करेगा ? अध्यात्म कोई पढ़ाने की चीज नहीं | यह किताबी ज्ञान की तरह नहीं पढ़ाया जा सकता | आज के समय में अगर कृष्ण आ जाएं तो क्या आम इंसान उनसे कुछ ग्रहण कर सकेगा | लेशमात्र भी नहीं | रामकृष्ण परमहंस की भाषा सिर्फ स्वामी विवेकानंद समझ पाते थे |
रामकृष्ण परमहंस की आज स्वामी विवेकानंद के गुरु के रूप में पहचान है | अन्यथा रामकृष्ण परमहंस के समय में लोग उनके पीछे पत्थर लेकर भागते थे उन्हें मारने के लिए | सब उन्हें पागल समझते थे | शरीर त्यागने के काफी समय बाद लोगों ने रामकृष्ण परमहंस को सही ढंग से पहचानना शुरू किया | आज भी रामकृष्ण परमहंस से ज्यादा स्वामी विवेकानंद की पूछ है |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar