किसी संत की वाणी से वातावरण शुद्ध हो सकता है क्या ?


किसी भी तत्वज्ञान प्राप्त संत की वाणी से पूरे वातावरण को ऊर्जा मिलती है | क्यों ? हर तत्वज्ञानी जैसे रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण हमेशा मानवता के लिए काम करते आए हैं और बिना मांगे या पूछे करते रहेंगे | उन्हें किसी की इजाज़त की जरूरत नहीं | वह हमेशा से औरों के लिए जिए हैं और आगे भी करते रहेंगे | जब तक वे सशरीर धरती पर थे उन्होंने मानवता के लिए सदा निष्पक्ष काम किया |

 

जैन धर्म में जब महावीर को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हो गया तो उन्होंने देशना (प्रवचन) का प्रयत्न किया लेकिन असफल रहे | उनकी प्रखर वाणी को समझने वाला कोई इंसान उस समय में मौजूद नहीं था | वह शांत हो गए | लगभग १ १/२ वर्ष उपरांत जब गौतम गणी नामक साधक आया और उनकी बातों का सार समझने में समर्थ हुआ तो महावीर की वाणी खिली और उन्होंने देशना शुरू की |

 

उस समय के बारे में कहा जाता है और कुछ जैन मंदिरों में आप ऐसे चित्रण भी देख लेंगे जहां महावीर की देशना के समय सामने आकर शेर बैठ गया और बगल में भैंस | यह तभी संभव है जब तीर्थंकर की वाणी का मर्म जानवरों तक पहुंच रहा हो | शेर के बग़ल में भैंस – है न अद्वितीय, जबकि दोनों पशुओं को मनुष्य वाणी से क्या लेना देना |

 

आध्यात्मिक प्रवचनों में इतनी सार्थकता होती है कि बड़े से बड़ा अज्ञानी भी बदल जाए और सही राह पकड़ ले | बस जरूरत है सही संत और ऋषि की | कलियुग के संतों का हाल बुरा है – किस पर विश्वास करें या न करें |

 

मैं जैन हूं लेकिन भारतीय दर्शन को मूल क्यों मानता हूं | Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.