पूरी सृष्टि का ज्ञान तभी संभव है जब इंसान अध्यात्म की राह पर चलकर तत्वज्ञानी, केवल्यज्ञानी हो जाए | जब तक ब्रह्म का साक्षात्कार नहीं होगा सृष्टि बनने और बिगड़ने का क्रम समझ नहीं आयेगा | जैसे ही हम कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर देंगे, हम एक शुद्ध आत्मा बन ब्रह्म से हमेशा के लिए जुड़ जाएंगे |
ब्रह्म से जुड़ने का मतलब है पूरी सृष्टि का ज्ञान, शुरू से आखिर तक, पहली योनि से 84 लाखवी योनि तक, big bang (जब ब्रह्माण्ड उत्पन्न हुआ) से प्रलय तक (जब ब्रह्माण्ड सिमट कर अस्थ अंगुष्ठ, आधे अंगूठे के आकार का हो जाता है), सब समझ आ जाएगा |
महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण – सबको पूर्ण ज्ञान था | महर्षि रमण 1950 में चले गए | बाकी आने वाले वक़्त का इंतज़ार कीजिए |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar