दो नेत्र हमें साकार वस्तुओं से अवगत कराते हैं लेकिन उस साम्राज्य का क्या जो हमारे भीतर स्थित है – ब्रह्म का साम्राज्य जो इतना सूक्ष्म हैं कि उसे देखने के लिए दिव्य नेत्र चाहिए | हम भारतीय भलीभांति जानते हैं कि ब्रह्म ने मनुष्यों को कुछ ऐसी अद्वितीय शक्तियों से लैस कर रक्खा है जो हैं लेकिन हर समय आच्छादित रहती हैं | तीसरा नेत्र उन्हीं आच्छादित शक्तियों में एक है |
तीसरा नेत्र खुलने का मतलब है भौतिक जिंदगी से पार लग जाना यानि पूरे ब्रह्मांड को उसके यथारूप में देख पाना | यह संभव होता है जब मनुष्य तत्वज्ञानी हो जाता है | मानव तत्वज्ञानी बनता है जब वह अध्यात्म की राह पर चलकर अपनी कुण्डलिनी पूरी जागृत कर ले और नाड़ी में स्थित सभी चक्र पूर्णतया खुल जाएं | यह स्थिति है सहस्त्रार की जब हमारा brain 100% active हो जाता है |
आम मनुष्य अपना brain 2~3% ही इस्तेमाल करता है और बाकी बंद पड़ा है | बंद पड़े brain को सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म में उतरकर खोला जा सकता है – एक ऐसा ज्ञान जो सिर्फ और सिर्फ भारतीयों के पास मौजूद है | और पाश्चात्य जगत की गोरी चमड़ी कहती है हम पिछड़े हुए हैं ???
स्पष्ट शब्दों में तीसरा नेत्र खुलने का मतलब है – हमने अपनी कुण्डलिनी पूरी activate कर सभी चक्र जागृत कर लिए और सहस्त्रार खुल गया (1000 petalled lotus पूर्णतया active हो गया) | यानी हम 84 लाखवी योनि में स्थापित हो तत्वज्ञानी हो गए और जब शरीर छोड़ेंगे – मोक्षगामी हो जाएंगे यानी मोक्ष को प्राप्त हो जाएंगे – जन्म मरण के चक्र से हमेशा के लिए छुट्टी |
तीसरा नेत्र खुलने का मतलब है हम अब एक शुद्ध आत्मा हो गए – और धरती पर कुछ भी प्राप्त करना बाकि नहीं रहा | तीसरा नेत्र एक संबोधन है और यह दर्शाता है हम उन सभी चीज़ों को देख सकते हैं जिन्हें ब्रह्म देख सकते हैं | यानी भारतीय शास्त्रों में छिपे गूढ़ रहस्य अब रहस्य नहीं रह गए – सब उजागर हो गए | ज्ञान के प्रकाश ने अब सब प्रकाशित कर दिया है | हमारी आंखों पर पड़ा अज्ञान का पर्दा हमेशा के लिए हट जाता है |
Secret of opening the Third Eye | तीसरा नेत्र खुलने का रहस्य | Vijay Kumar Atma Jnani