क्या एक शूद्र वेद और हिन्दू ग्रंथो के अनुसार ब्राह्मण बन सकता है ?


भारतीय दर्शन में 4 वर्ण दर्शाए गए हैं – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र | सब कुछ कर्म theory पर आधारित है | अगर शूद्र वेद और भारतीय दर्शन शास्त्रों को पढ़ने और समझने में समर्थ है तो वह ब्राह्मण कहलाएगा | आज आप चेन्नई में जाएं | आपको ब्राह्मण परिवार के सदस्य जूते के शोरूम खोले दिख जाएंगे | तो वह ब्राह्मण नहीं वैश्य कहलाएगा | जैसा कर्म वैसा वर्ण |

 

जो ज्ञान ब्रह्म से उतरा उसे बांटने वाले हम कौन ? जैसी गति वैसी परिणति | ज्ञान का हकदार हर इंसान है जो इस धरती पर मौजूद है – वो भी equal measure में | जब ब्रह्म ने नहीं बांटा तो हम कौन होते हैं बाटने वाले | कोई भी साधक ज्यादा से ज्यादा क्या कर सकता है – ब्रह्म का साक्षात्कार | उस level पर पहुंचते ही सब समझ आएगा |

 

भारतीय दर्शन में कितने ही दिग्गजों का जिक्र आता है जो शूद्र के यहां पैदा हुए और महाज्ञानी होकर भारतीयों शास्त्रों पर काम किया | आज के समय में कोई भी शूद्र शिक्षक, ब्राह्मण ही कहलाएगा | बॉर्डर पर देश की हिफाज़त करता शूद्र परिवार का सिपाही क्षत्रिय नहीं तो और कौन ? अगर हम सभी को सम भाव से नहीं देखेंगे तो कैसी इंसानियत !

 

मूलतः हम सब अर्जुन पैदा होते हैं – जितना जल्दी समझ लें, जीवन उतना जल्दी आसान हो जाएगा |

 

What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar

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