ब्रह्मा विष्णु और महेश, भगवान (ब्रह्म) की विभूतियों को दिए नाम हैं | जैसे एक ही महिला मां, पत्नी, पुत्री, बहन इत्यादि आभा से सुशोभित है, उपासकों ने अपनी कामना अनुसार ब्रह्म के creative स्वरूप को ब्रह्मा कहा, जो पृथ्वी को चलाता है उसे विष्णु और जो पूरे सिस्टम को संतुलित किए रखता है वह महेश (जिसके पास जन्म और मृत्यु का control है) |
ब्रह्म तो एक ही है, बाकी सब उसके विस्तार हैं जो धरती पर उपासकों ने अपनी इच्छानुसार बना लिए हैं | आदि शंकराचार्य की अद्वैत इसी बात को प्रतिपादित करती है कि ब्रह्म के अलावा पूरे ब्रह्माण्ड में और कुछ exist नहीं करता | महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाकाव्य महाभारत भी ब्रह्म और सिर्फ ब्रह्म के होने पर जोर देता है |
भगवद गीता में कृष्ण इस बात की ओर इशारा भी करते हैं कि उपासकों द्वारा देवी देवताओं को अर्पण सब कुछ अंततः उन्हीं तक पहुंचता है | तो क्यों न भोग सीधे ब्रह्म को ही लगाया जाए |
महर्षि वेदव्यास और महाभारत महाकाव्य का आध्यात्मिक सच | Vijay Kumar Atma Jnani