क्या योग और ध्यान से सब कुछ संभव है ?


योग मूलतः सिद्धांत है जो हमें ब्रह्म से मिलने के लिए प्रेरित करता है | हिंदी में 2 योग 2 = 4 , या कहें 2 जमा 2 बराबर 4 | आत्मा की ब्रह्म से मिलने की चेष्टा को योग कहते हैं | आत्मा हमेशा से ब्रह्म से योग करना चाहती है, जहां से चली थी वहां शीघ्रताशीघ्र वापस पहुंचना चाहती है |

 

जिस क्रिया को हम रोजमर्रा की जिंदगी में योगा कहने लगे हैं वह योग नहीं, वह तो ऋषि पतंजलि की भाषा में आसन कहलाते हैं | शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखने की कला | क्योंकि योग तभी कर पाएंगे जब शरीर हृष्ट-पुष्ट होगा तो क्रिया को योगासन भी कहते हैं | किसी ने सही कहा है – कमजोर शरीर या भूखा इंसान क्या योग करेगा, भगवान से मिलन करेगा | योग में लिप्त होने के लिए योगासन, शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखना जरूरी है |

 

अब योग ध्यान के द्वारा संभव है और ध्यान चिंतन के माध्यम से किया जाता है | जिस साधक को ध्यान की सही प्रक्रिया समझ आ जाए, और वह 12 वर्ष का अखंड ब्रह्मचर्य करने के लिए भी सक्षम हो, तो 12 वर्ष की ध्यान और अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या किसी भी साधक का ब्रह्म से योग (मिलन) करवाने में सक्षम है |

 

तीनो क्रियाओं योग, ध्यान और ब्रह्मचर्य पर विडियोज detail में YouTube channel पर उपलब्ध हैं (मंत्रों सहित) |

 

12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.